1 November Rules Change: नवंबर महीना आ गया है और इसके साथ ही कई नए नियम और बदलाव लागू होने वाले हैं। इन बदलावों का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ने वाला है। बैंकिंग, टैक्स, इन्वेस्टमेंट और अन्य कई क्षेत्रों में होने वाले ये बदलाव आपके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करेंगे। इसलिए इन बदलावों के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
इस लेख में हम 1 नवंबर से लागू होने वाले सभी प्रमुख बदलावों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। इनमें टैक्स नियमों में बदलाव, बैंकिंग नियमों में परिवर्तन, निवेश के नए विकल्प और अन्य महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में विस्तार से।
1 नवंबर से लागू होने वाले प्रमुख बदलाव
बदलाव | विवरण |
आयकर नियमों में बदलाव | TDS दरों में कमी, आधार नंबर अनिवार्य |
बैंकिंग नियमों में परिवर्तन | क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड पॉइंट्स पर प्रतिबंध |
छोटी बचत योजनाओं में बदलाव | NSS खातों पर ब्याज दर में कमी |
शेयर बाजार के नए नियम | F&O ट्रेडिंग के लिए नए नियम |
डेट सिक्योरिटीज के लिए नई सुविधा | लिक्विडिटी विंडो की शुरुआत |
GST नियमों में संशोधन | इनपुट टैक्स क्रेडिट की समय सीमा में बदलाव |
नए सुरक्षा मानक | UPI लेनदेन के लिए नए नियम |
आयकर नियमों में बदलाव
1 नवंबर से आयकर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव होने जा रहे हैं:
- TDS दरों में कमी: कई धाराओं के तहत TDS की दरें 5% से घटाकर 2% कर दी गई हैं। इससे लोगों को कुछ राहत मिलेगी।
- आधार नंबर अनिवार्य: अब आधार नामांकन आईडी के बजाय आधार नंबर देना अनिवार्य होगा। इससे टैक्स रिटर्न फाइल करने में आसानी होगी।
- फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड्स पर TDS: अब इन बॉन्ड्स पर मिलने वाले 10,000 रुपये से अधिक के ब्याज पर TDS लगेगा।
- शेयर बायबैक पर टैक्स: अब शेयर बायबैक से प्राप्त आय पर प्राप्तकर्ता को टैक्स देना होगा।
बैंकिंग नियमों में परिवर्तन
बैंकिंग क्षेत्र में भी कुछ महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहे हैं:
- क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड पॉइंट्स पर प्रतिबंध: अब Apple प्रोडक्ट्स खरीदने के लिए रिवॉर्ड पॉइंट्स का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
- लोन के लिए नए नियम: बैंकों को अब रिटेल और MSME लोन के लिए Key Facts Statement (KFS) देना होगा, जिसमें लोन की सभी शर्तें स्पष्ट रूप से बताई जाएंगी।
- UPI लेनदेन के लिए नए सुरक्षा मानक: UPI लेनदेन को और सुरक्षित बनाने के लिए नए नियम लागू किए जाएंगे।
छोटी बचत योजनाओं में बदलाव
पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाओं में भी कुछ बदलाव होंगे:
- NSS खातों पर ब्याज दर में कमी: 1 अक्टूबर 2024 से NSS-87 और NSS-92 खातों पर शून्य प्रतिशत ब्याज दर लागू होगी।
- अनियमित NSS खातों पर कार्रवाई: दो से अधिक NSS-87 खातों पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा और केवल मूल राशि वापस की जाएगी।
शेयर बाजार के नए नियम
सेबी ने F&O ट्रेडिंग के लिए कुछ नए नियम जारी किए हैं:
- कॉन्ट्रैक्ट साइज में वृद्धि: इंडेक्स F&O कॉन्ट्रैक्ट्स का न्यूनतम मूल्य 15-20 लाख रुपये होगा।
- साप्ताहिक एक्सपायरी में कमी: अब प्रति एक्सचेंज केवल एक बेंचमार्क इंडेक्स के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी की अनुमति होगी।
- मार्जिन आवश्यकताओं में वृद्धि: एक्सपायरी के दिन सभी ओपन शॉर्ट ऑप्शंस के लिए 2% अतिरिक्त एक्सट्रीम लॉस मार्जिन लगाया जाएगा।
डेट सिक्योरिटीज के लिए नई सुविधा
1 नवंबर से डेट सिक्योरिटीज के लिए एक नई लिक्विडिटी विंडो सुविधा शुरू की जा रही है:
- पुट ऑप्शन की सुविधा: निवेशक अब लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज को वापस जारीकर्ता को बेच सकेंगे।
- न्यूनतम आवंटन: कुल इश्यू साइज का कम से कम 10% लिक्विडिटी विंडो के लिए आवंटित किया जाएगा।
- ट्रेडिंग विंडो: लिक्विडिटी विंडो तीन कार्य दिवसों के लिए खुली रहेगी और मासिक या त्रैमासिक आधार पर संचालित होगी।
GST नियमों में संशोधन
GST कानून में भी कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं:
- इनपुट टैक्स क्रेडिट की समय सीमा: वित्त वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक के लिए ITC लेने की समय सीमा 30 नवंबर 2021 तक बढ़ा दी गई है।
- एमनेस्टी स्कीम: गैर-धोखाधड़ी मामलों में बकाया मांगों पर ब्याज और जुर्माने की माफी दी जाएगी, यदि पूरी कर मांग का भुगतान किया जाता है।
- अपीलीय न्यायाधिकरण के कार्य: अब अपीलीय न्यायाधिकरण एंटी-प्रोफिटीयरिंग मामलों की जांच या न्यायनिर्णय भी करेगा।
नए नियमों का प्रभाव
इन नए नियमों और बदलावों का आम लोगों पर कई तरह से प्रभाव पड़ेगा:
- टैक्स बचत: TDS दरों में कमी से लोगों को कुछ राहत मिलेगी और उनके हाथ में अधिक पैसा रहेगा।
- निवेश रणनीति में बदलाव: NSS खातों पर ब्याज दर में कमी से लोगों को अपनी निवेश रणनीति बदलनी पड़ सकती है।
- F&O ट्रेडिंग में सावधानी: शेयर बाजार के नए नियमों से F&O ट्रेडिंग में जोखिम कम होगा, लेकिन छोटे निवेशकों के लिए यह महंगा हो सकता है।
- बैंकिंग सेवाओं में पारदर्शिता: लोन के लिए KFS की अनिवार्यता से ग्राहकों को बेहतर जानकारी मिलेगी।
- कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में सुधार: डेट सिक्योरिटीज के लिए नई लिक्विडिटी विंडो से कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में तरलता बढ़ेगी।
Disclaimer: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। हालांकि इसमें दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है, फिर भी यह संभव है कि कुछ नियमों या तारीखों में बदलाव हो सकता है। किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले कृपया संबंधित अधिकारियों या विशेषज्ञों से परामर्श लें। लेखक या प्रकाशक इस जानकारी के उपयोग से होने वाले किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।