Delhi Demolition: दिल्ली में एक बार फिर से बुलडोजर चलाने की तैयारी शुरू हो गई है। इस बार लोक निर्माण विभाग (PWD) ने दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के मद्रासी कैंप झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में लगभग 400-500 मकानों को तोड़ने की बात कही गई है। PWD का कहना है कि यहां एक फ्लाईओवर का निर्माण किया जाना है, जिसके लिए इन मकानों को हटाना जरूरी है।
यह खबर सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। AAP का कहना है कि यह केंद्र सरकार और उपराज्यपाल की मनमानी है, जबकि BJP का आरोप है कि दिल्ली सरकार ही इसके लिए जिम्मेदार है।
मद्रासी कैंप में क्या है स्थिति?
मद्रासी कैंप दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में स्थित एक पुरानी झुग्गी बस्ती है। यहां लगभग 400-500 परिवार रहते हैं। ये लोग पिछले 50 सालों से इस इलाके में रह रहे हैं। अधिकांश लोग मजदूरी और छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा करते हैं।
PWD ने पिछले हफ्ते यहां के निवासियों को नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्हें 5 हफ्ते के भीतर अपने घर खाली करने को कहा गया था। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक उन्हें कोई वैकल्पिक जगह नहीं दी जाती, वे यहां से नहीं जाएंगे।
नोटिस में क्या कहा गया है?
- मद्रासी कैंप क्षेत्र में एक नए फ्लाईओवर का निर्माण किया जाना है
- इस निर्माण के लिए यहां की झुग्गियों को हटाना आवश्यक है
- निवासियों को 5 हफ्ते का समय दिया गया है अपने घर खाली करने के लिए
- यदि लोग स्वयं घर नहीं खाली करते हैं तो प्रशासन बलपूर्वक कार्रवाई करेगा
- किसी भी तरह के नुकसान की जिम्मेदारी प्रशासन की नहीं होगी
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले पर AAP और BJP के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं:
AAP की प्रतिक्रिया
- दिल्ली के PWD मंत्री आतिशी ने PWD को निर्देश दिया है कि वह किसी भी तरह की तोड़फोड़ न करे
- AAP का आरोप है कि यह केंद्र सरकार और उपराज्यपाल की मनमानी है
- पार्टी का कहना है कि वह गरीबों के साथ खड़ी है और उनके अधिकारों की रक्षा करेगी
- मनीष सिसोदिया ने कहा कि वे अदालत में और सड़क पर लड़ेंगे लोगों के घरों को बचाने के लिए
BJP की प्रतिक्रिया
- दिल्ली BJP अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि PWD दिल्ली सरकार के अधीन आता है
- उन्होंने AAP पर आरोप लगाया कि वह अपनी जिम्मेदारी से बच रही है
- BJP का दावा है कि केंद्र सरकार ने कई झुग्गी बस्तियों का पुनर्वास किया है
- पार्टी ने कहा कि वह झुग्गीवासियों के लिए लड़ाई जारी रखेगी
कानूनी स्थिति
इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया है। अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे फिलहाल मद्रासी कैंप के निवासियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करें। न्यायालय ने कहा है कि जब तक इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।
अदालत के आदेश के मुख्य बिंदु:
- फिलहाल किसी भी तरह की तोड़फोड़ या बेदखली पर रोक
- सरकार को निर्देश कि वह निवासियों के पुनर्वास की योजना बनाए
- अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
- सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा
पिछले कुछ सालों में दिल्ली में हुई प्रमुख तोड़फोड़ कार्रवाइयां
दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों में कई बार बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई है। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
वर्ष | स्थान | प्रभावित लोग |
2022 | जहांगीरपुरी | लगभग 300 परिवार |
2023 | तुगलकाबाद | 1300 से अधिक घर |
2023 | यमुना किनारे | 4900 लोग प्रभावित |
2024 | मेहरौली | 3430 लोग प्रभावित |
इस तरह की कार्रवाइयों का प्रभाव
बड़े पैमाने पर की जाने वाली तोड़फोड़ और बेदखली की कार्रवाइयों का गरीब और कमजोर वर्ग पर गहरा असर पड़ता है। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव हैं:
- बेघर होना: लोग अचानक बेघर हो जाते हैं और उनके पास रहने की कोई जगह नहीं होती
- आर्थिक नुकसान: लोगों की जमा पूंजी और संपत्ति नष्ट हो जाती है
- बच्चों की शिक्षा प्रभावित: स्कूल जाने वाले बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है
- स्वास्थ्य समस्याएं: खुले में रहने से लोगों को कई बीमारियां हो सकती हैं
- मानसिक तनाव: अचानक बेघर होने से लोग मानसिक तनाव में आ जाते हैं
मद्रासी कैंप में PWD द्वारा जारी किए गए तोड़फोड़ के नोटिस ने एक बार फिर दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के भविष्य को लेकर चिंता पैदा कर दी है। यह मामला अब न्यायालय में है और देखना होगा कि आगे क्या फैसला होता है। लेकिन यह स्पष्ट है कि शहरी विकास और गरीबों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है। सरकार को ऐसी नीतियां बनानी होंगी जिससे विकास भी हो और गरीबों का विस्थापन भी न हो।
इस तरह की कार्रवाइयों से पहले सरकार को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:
- प्रभावित लोगों के लिए उचित पुनर्वास की व्यवस्था
- पर्याप्त समय और नोटिस देना
- वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करना
- लोगों के साथ बातचीत और उनकी चिंताओं को सुनना
- कानूनी प्रक्रिया का पालन करना
अंत में, यह कहा जा सकता है कि शहरी विकास और गरीबों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाना बहुत जरूरी है। सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखें। तभी एक स्वस्थ और समावेशी शहरी विकास संभव हो सकेगा।
दिल्ली के नेब सराय गली नंबर 1 हरिजन बस्ती में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा तोड़फोड़ कर आठ बड़ी बड़ी चार मंजिला बिल्डिंग को गिराया गया यहां पर लगभग 80 परिवार बेघर हुए यह परिवार पिछले 15 वर्षों से बिल्डर द्वारा निर्मित फ्लैट लेकर रह रहे थे जिनकी कीमत लाखों में थी जिस जमीन पर यह फ्लैट बने उसे जमीन के मालिक पिछले 60 से 70 वर्षों से खेती करना या भैंस बांधा करते थे दिल्ली सरकार की बेरुखी के कारण आज 80 परिवारों को घर से बेघर होना पड़ा सुप्रीम कोर्ट ने भी एक तरफ न्याय देकर परिवारों के साथ न्याय नहीं किया इन सब परिवारों को न्याय कब मिलेगा।