Delhi Demolition Drive: दिल्ली में एक बार फिर बुलडोजर चलने की खबर सामने आई है। इस बार दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने करोल बाग के किशनगंज कॉलोनी में 7 घरों को तोड़ने का नोटिस जारी किया है। यह खबर स्थानीय लोगों के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि कई परिवार यहां लंबे समय से रह रहे हैं। DDA का कहना है कि ये घर अवैध रूप से बनाए गए हैं और इन्हें गिराना जरूरी है।
इस तोड़फोड़ की कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा है। उनका कहना है कि वे यहां कई पीढ़ियों से रह रहे हैं और अब अचानक उन्हें बेघर किया जा रहा है। दूसरी तरफ प्रशासन का तर्क है कि अवैध निर्माण को हटाना जरूरी है। इस विवाद के बीच कई राजनीतिक दल भी कूद पड़े हैं और अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं।
दिल्ली में तोड़फोड़ अभियान का इतिहास
दिल्ली में पिछले कुछ सालों में कई बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ अभियान चलाए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- 2023 में मेहरौली में DDA द्वारा चलाया गया अभियान
- 2022 में शाहीन बाग और जहांगीरपुरी में MCD की कार्रवाई
- 2021 में खोरी गांव में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई तोड़फोड़
- 2019 में तुगलकाबाद में रैन बसेरों को हटाने का अभियान
इन अभियानों में हजारों लोग प्रभावित हुए और कई परिवार बेघर हो गए। प्रशासन का तर्क रहा है कि अवैध कब्जे और निर्माण को हटाना जरूरी है। लेकिन इसके विरोध में भी आवाजें उठती रही हैं।
दिल्ली तोड़फोड़ अभियान की मुख्य बातें
विवरण | जानकारी |
प्रभावित क्षेत्र | करोल बाग, किशनगंज कॉलोनी |
तोड़े जाने वाले घर | 7 |
कार्रवाई करने वाली एजेंसी | दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) |
कारण | अवैध निर्माण |
स्थानीय लोगों की स्थिति | विरोध प्रदर्शन |
राजनीतिक प्रतिक्रिया | AAP और BJP दोनों ने समर्थन का वादा किया |
कोर्ट का रुख | अभी कोई स्टे नहीं |
तोड़फोड़ अभियान के कारण
DDA ने इस तोड़फोड़ अभियान के पीछे कुछ प्रमुख कारण बताए हैं:
- अवैध निर्माण: इन घरों का निर्माण बिना किसी अनुमति के किया गया है
- सरकारी जमीन पर कब्जा: ये घर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए हैं
- नियमों का उल्लंघन: इन निर्माणों में कई नियमों और कानूनों का उल्लंघन किया गया है
- सुरक्षा खतरा: कुछ निर्माण असुरक्षित हैं और लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं
- शहरी नियोजन: इन अवैध निर्माणों से शहर के नियोजित विकास में बाधा आ रही है
स्थानीय लोगों का पक्ष
इस तोड़फोड़ अभियान से प्रभावित होने वाले लोगों का कहना है:
- वे यहां कई पीढ़ियों से रह रहे हैं और उनके पास कोई और जगह नहीं है
- उन्हें पहले से कोई नोटिस नहीं दिया गया और अचानक घर खाली करने को कहा जा रहा है
- उनके पास सरकारी योजनाओं के तहत बिजली और पानी के कनेक्शन हैं
- कई लोगों ने अपनी जीवन भर की कमाई इन घरों में लगाई है
- बच्चों की पढ़ाई और लोगों के रोजगार पर असर पड़ेगा
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं:
आम आदमी पार्टी (AAP):
- लोगों को उजाड़ने का विरोध किया है
- कहा है कि पहले पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए
- DDA पर BJP के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है
भारतीय जनता पार्टी (BJP):
- अवैध निर्माण हटाने के फैसले का समर्थन किया है
- कहा है कि कानून का पालन जरूरी है
- AAP सरकार पर अवैध कब्जों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है
कांग्रेस:
- गरीबों के हितों की रक्षा की मांग की है
- कहा है कि तोड़फोड़ से पहले वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए
- केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया है
कानूनी पहलू
इस तरह के तोड़फोड़ अभियानों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण कानूनी पहलू हैं:
- दिल्ली विकास अधिनियम: इसके तहत DDA को अवैध निर्माण हटाने का अधिकार है
- स्लम एवं जेजे पुनर्वास नीति: इसमें झुग्गी-झोपड़ी वालों के पुनर्वास का प्रावधान है
- उच्च न्यायालय के निर्देश: कई मामलों में कोर्ट ने तोड़फोड़ पर रोक लगाई है
- मौलिक अधिकार: आवास का अधिकार भी एक मौलिक अधिकार माना जाता है
- नोटिस का प्रावधान: कानून के अनुसार तोड़फोड़ से पहले नोटिस देना जरूरी है
पिछले कुछ सालों के आंकड़े
दिल्ली में पिछले कुछ सालों में हुए तोड़फोड़ अभियानों के आंकड़े:
वर्ष | तोड़े गए ढांचे | प्रभावित लोग (अनुमानित) |
2023 | 16,138 | 80,000+ |
2022 | 4,017 | 20,000+ |
2021 | 2,927 | 15,000+ |
2020 | 2,967 | 15,000+ |
2019 | 4,804 | 25,000+ |
तोड़फोड़ अभियान का प्रभाव
इस तरह के अभियानों का लोगों के जीवन पर गहरा असर पड़ता है:
- बेघर होना: कई परिवार सड़क पर आ जाते हैं
- आर्थिक नुकसान: लोगों की जीवन भर की कमाई बर्बाद हो जाती है
- बच्चों की शिक्षा: स्कूल छूट जाते हैं और पढ़ाई प्रभावित होती है
- स्वास्थ्य समस्याएं: खुले में रहने से बीमारियां फैलती हैं
- रोजगार का नुकसान: काम के स्थान से दूर जाने पर नौकरियां छूट जाती हैं
- मानसिक तनाव: अचानक बेघर होने से लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं
सरकार की पुनर्वास योजनाएं
सरकार ने इन लोगों के पुनर्वास के लिए कुछ योजनाएं बनाई हैं:
- इन-सीटू पुनर्वास: मौजूदा स्थान पर ही बहुमंजिला इमारतें बनाकर लोगों को बसाना
- जहां-का-तहां पुनर्वास: आस-पास के इलाकों में नए फ्लैट बनाकर लोगों को शिफ्ट करना
- किराया वाउचर: कुछ समय के लिए किराए की मदद देना
- ईडब्ल्यूएस फ्लैट: गरीबों के लिए बने सस्ते फ्लैट आवंटित करना
- मुआवजा: कुछ मामलों में आर्थिक मुआवजा देने का प्रावधान