बड़ी खबर! जमीन के लिए भी बनेगा आधार कार्ड, अब संपत्ति रहेगी पूरी तरह सुरक्षित Land Aadhar Link

Land Aadhar Link: आज के समय में आधार कार्ड हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। इसकी मदद से हम कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाते हैं और अपनी पहचान साबित कर पाते हैं। अब सरकार ने एक नई पहल की है जिसके तहत हमारी जमीन का भी आधार कार्ड बनेगा। इसे भू-आधार या लैंड आधार कहा जा रहा है। इस नई व्यवस्था से जमीन से जुड़े विवादों को कम करने और भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने में मदद मिलेगी।

भू-आधार योजना के तहत हर जमीन के टुकड़े को एक खास नंबर दिया जाएगा। इस नंबर में उस जमीन की सारी जानकारी होगी, जैसे कि उसका साइज, मालिक का नाम, और उसकी सही जगह। इससे जमीन की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता आएगी और किसी को भी गलत तरीके से जमीन हड़पने से रोका जा सकेगा। आइए इस नई योजना के बारे में विस्तार से जानें।

भू-आधार क्या है?

भू-आधार या लैंड आधार एक नई सरकारी योजना है जिसके तहत हर जमीन के टुकड़े को एक विशिष्ट पहचान संख्या (Unique Land Parcel Identification Number – ULPIN) दी जाएगी। यह नंबर 14 अंकों का होगा और इसमें जमीन की सारी जरूरी जानकारी होगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जमीन से जुड़े रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना और जमीन विवादों को कम करना है।

भू-आधार योजना की मुख्य बातें

विवरणजानकारी
योजना का नामभू-आधार या लैंड आधार
शुरुआत2024 के बजट में प्रस्तावित
उद्देश्यजमीन रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और विवाद कम करना
लागू करने वाला विभागभूमि संसाधन विभाग
लाभार्थीसभी जमीन मालिक
ULPIN की लंबाई14 अंक
कवरेजग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र
पूरा होने का लक्ष्यमार्च 2024 तक

भू-आधार के फायदे

भू-आधार योजना से कई तरह के फायदे होंगे। इससे न सिर्फ आम लोगों को मदद मिलेगी, बल्कि सरकार और बैंकों को भी काफी सुविधा होगी। आइए जानें इसके कुछ प्रमुख फायदे:

  • जमीन विवाद कम होंगे: हर जमीन का एक खास नंबर होने से उसकी पहचान आसान हो जाएगी और विवाद कम होंगे।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिलेगा: किसानों को कृषि से जुड़ी योजनाओं का लाभ सीधे मिल सकेगा।
  • बैंक लोन लेना आसान होगा: जमीन की सही जानकारी होने से बैंक आसानी से लोन दे सकेंगे।
  • जमीन की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता: सभी जानकारी डिजिटल होने से धोखाधड़ी की संभावना कम होगी।
  • सरकार को योजना बनाने में मदद: सही डेटा होने से सरकार बेहतर योजनाएं बना सकेगी।

भू-आधार कैसे काम करेगा?

भू-आधार या ULPIN एक ऐसी व्यवस्था है जो हर जमीन के टुकड़े को एक खास पहचान देगी। यह काम कैसे होगा, आइए जानें:

  1. सर्वे और मैपिंग: पहले हर जमीन का सर्वे किया जाएगा और उसका डिजिटल मैप बनाया जाएगा।
  2. ULPIN जेनरेट करना: हर जमीन के लिए 14 अंकों का एक खास नंबर बनाया जाएगा।
  3. जानकारी जोड़ना: इस नंबर से जमीन की सारी जानकारी जोड़ दी जाएगी।
  4. डिजिटल रिकॉर्ड: सारी जानकारी एक केंद्रीय डेटाबेस में रखी जाएगी।
  5. आधार से लिंक: जमीन मालिक के आधार नंबर को इस ULPIN से जोड़ा जाएगा।

भू-आधार में क्या जानकारी होगी?

भू-आधार या ULPIN में जमीन से जुड़ी कई तरह की जानकारी होगी। इसमें शामिल हैं:

  • जमीन का साइज
  • मालिक का नाम
  • जमीन की सही लोकेशन (अक्षांश और देशांतर)
  • जमीन का उपयोग (कृषि, रिहायशी, व्यावसायिक)
  • जमीन का मूल्य
  • पिछले ट्रांजैक्शन की जानकारी

भू-आधार कैसे बनवाएं?

भू-आधार बनवाने की प्रक्रिया सरकार द्वारा तय की जाएगी। हालांकि, इसके लिए आम तौर पर निम्न स्टेप्स हो सकते हैं:

  1. अपने गांव या शहर के रेवेन्यू ऑफिस में जाएं।
  2. जमीन से जुड़े दस्तावेज जैसे खसरा, खतौनी आदि लेकर जाएं।
  3. आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र साथ रखें।
  4. फॉर्म भरें और जरूरी दस्तावेज जमा करें।
  5. अधिकारी आपकी जमीन का सर्वे करेंगे।
  6. सारी जानकारी सही होने पर आपको भू-आधार नंबर मिल जाएगा।

भू-आधार का इस्तेमाल कहां-कहां होगा?

भू-आधार का इस्तेमाल कई जगहों पर किया जा सकेगा। कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं:

  • जमीन की रजिस्ट्री: जब भी जमीन की खरीद-बिक्री होगी, भू-आधार नंबर का इस्तेमाल होगा।
  • बैंक लोन: किसी भी तरह के लोन के लिए जमीन गिरवी रखते समय।
  • सरकारी योजनाएं: किसानों को मिलने वाली सब्सिडी या अन्य लाभ देने में।
  • कोर्ट केस: जमीन से जुड़े विवादों में कोर्ट में यह एक मजबूत सबूत होगा।
  • टैक्स: प्रॉपर्टी टैक्स या अन्य टैक्स लगाने में इसका इस्तेमाल होगा।

भू-आधार से किसानों को क्या फायदा होगा?

भू-आधार से किसानों को कई तरह के फायदे होंगे। कुछ प्रमुख फायदे हैं:

  • सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ: फसल बीमा, MSP, सब्सिडी आदि सीधे किसान के खाते में जाएंगे।
  • आसान लोन: बैंक आसानी से कृषि लोन दे सकेंगे क्योंकि जमीन की सारी जानकारी उनके पास होगी।
  • जमीन विवाद कम: अपनी जमीन की सही जानकारी होने से किसानों को विवादों से बचाव होगा।
  • ऑनलाइन सेवाएं: किसान घर बैठे अपनी जमीन से जुड़ी कई सेवाएं ले सकेंगे।
  • बेहतर योजना: सरकार किसानों के लिए बेहतर योजनाएं बना सकेगी क्योंकि उसके पास सही डेटा होगा।

भू-आधार और आधार कार्ड में क्या अंतर है?

भू-आधार और आधार कार्ड दोनों अलग-अलग चीजें हैं। आइए जानें इनमें क्या फर्क है:

भू-आधारआधार कार्ड
जमीन की पहचान के लिएव्यक्ति की पहचान के लिए
14 अंकों का नंबर12 अंकों का नंबर
जमीन की जानकारी रखता हैव्यक्तिगत जानकारी रखता है
जमीन मालिक बदलने पर भी नहीं बदलेगाव्यक्ति के साथ जुड़ा रहता है
भूमि संसाधन विभाग द्वारा जारीUIDAI द्वारा जारी

Author

  • Aman Kanojia

    Aman Kanojia has done a Master’s in Mass Media and 6 years of experience writing about government schemes, recruitment, and educational topics.

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